tag:blogger.com,1999:blog-6115492536068589882.post1240109219344663908..comments2023-12-23T01:52:15.400-08:00Comments on A M R I T A: मुठियाँharminder kaur bubliehttp://www.blogger.com/profile/13164548015021473635noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6115492536068589882.post-5163798275167335332012-01-17T06:29:12.160-08:002012-01-17T06:29:12.160-08:00हाँ जी शायद हम भी वही कहना चाहते थे जो आप ने कहा
ज...हाँ जी शायद हम भी वही कहना चाहते थे जो आप ने कहा<br />जब जब हम इस श्रृष्टि में किसी भी चीज़ को थामना बाँधने रोक ना चाहते हैं<br />वोह उतना ही बह बह निकलता है और हम उसे सदा के लिए ही खो देते हिएँ<br />चाहे ही वोह कोई धन पदार्थ हो या की रिश्ते नहीं तो भावनाएं विचार<br /> सब सहज और सहजे से होता अरे अपने आप वक़्त की धरा में<br /> बहता रहे तभी शायद वोह सही रुख और सही दिशा प् अपर सही दशा में<br /> रह पता है चलो आज पर्ण करें की कभी कभी ना थामें गे ना बांधें गे और<br /> खोल दे यह मुथियन बंद सभी की हो जाए यह सारा जहां ही हमारा ..........harminder kaur bubliehttps://www.blogger.com/profile/13164548015021473635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6115492536068589882.post-44475049745199774052012-01-16T19:50:56.288-08:002012-01-16T19:50:56.288-08:00इजाज़त दें तुम हम कुछ इस तरह से कहें ( जानते है उतन...इजाज़त दें तुम हम कुछ इस तरह से कहें ( जानते है उतना अच्छा और सटीक नहीं होगा )<br /><br />करीं थीं बंद कस के हमने अपनी मुठियाँ फिर भी <br />नहीं कुछ भी रहा बचकर , हमारे हाथ खाली हैं <br />फिसलता वक्त , दिन की धूप और न साये ही यादों के <br />वो खुशबू चांदनी की और लहरों की रवानी भी <br />कडकती बिजलियाँ , बूँदें , तुम्हारी सोच , वो सपने <br /><br />सरकती रेत हो या अक्स हो बीते जहानो का <br />सभी तो रिस्ते रिस्ते बह गया है , खो गया देखो <br /><br />नहीं करना था कुछ भी बंद , न ही कैद रखना था<br /><br /> <br />अगर आजाद रखते उस को जिंदा पास में अपने <br />हमारा ही बना रहता हमारा वो जहाँ अपनाashokjairath's diaryhttps://www.blogger.com/profile/03097967910978831966noreply@blogger.com