शनिवार, 18 जुलाई 2009

आपके नाम

थामा जो आपने हाथ
लगा बचपन से है साथ

एक बहती धारा हूँ
जिसे थामा इक मौज ने
आओ दोनों मिलके बह चलें
उस सागर की ओर
जिसका न कोई ओर ना छोर

थामा जो हाथ फिर
साथ न छोडेंगे
चलते चलते साथ फिर
साथ ना छोडेंगे

ये वादा है तुमसे
ज्यूं ज्योति संग ज्योत जले
मिले सागर से
हो सागर जैसे

मैं मैं ना रहूँ
तू तू ना रहे
मुझसे मैं
तुझसे तू खो जाये
तुझमे मैं खो जाऊं

आ मिल आलिंगन में
कुछ ऐसे दोनों खो जायें
कुछ ऐसे