बुधवार, 12 अगस्त 2009

मेरे मालिक

कची नींद में करवट बदलते ही
एहसास जग जाएं तो मालूम होता है
मेरे मालिक का हाथ है सर पर मेरे

आँख खोल देख पाती हूँ
गर झरोखून से उस पार
जहां रहता है मेरा प्रीतम प्यारा

समझ जाती हूँ
नहीं मेरे भीतर ही है
यहीं है मेरे आस पास

दिन भर की हर मुस्कान
है उसी का आशीर्वाद

झाँक झाँक मेरी आन्खून से
देखे सब संसार
फिर कहे हौले से मेरे कानो में
कर प्यार प्यार कर

हर सु मैं ही हूँ बिखरा हुआ
कण कण हूँ मैं ही बसा हुआ
मेरा ही रूप है तू भी

कर ले खुद से भी प्यार
बस प्यार ही प्यार
गली के कोने पर जहां छोर कर आई थी
आज भी वही देख पाती हूँ
आप की उदास आँखें रुकी हुई
आप मेरे मुड के देखने का इन्तजार करते रहे
पर नहीं जाना
की आज भी मेरे पीठ पर गहरे निशाँ हैं उन
गडी गडी नजरूं के
में मजबूर हूँ सामने देखने के लिएय
पर पीछे क्या है जानती हूँ खूब
उसी दुनिया किहूँ में आज भी
मुख सामने है पर दिल वही
सड़क के किनारे उसी मोड़ पर छोर आई थी
जाओ लाओ ना
दिल मेरा संभाल लो
मेरी खातिर