शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

न जाग पाऊं कभी

तो जगा देना मुझे

पाप हो जाये अगर

तो सज़ा देना मुझे


अंधे हैं हम सब
इस अंधेर नगरी में
ठोकर खा कर गिर पडून
तो हाथ बाधा उठा देना मुझे


सोया है मन सो गई आत्मा
दुनिया की भीढ़ में खोया अस्तित्व
झाक्जोर कर

जगा देना मुझे


हे प्रभु,

उंगली पकड कर

तुम मुझे अवलम्ब दे दो

ठगिनी बहुत,

माया जगत की,

ये नचा दे ना मुझे ....