सावन के महीने में
खुश खुश रहती हर दम
रंग बित्रंगे धारे वस्त्र
करके श्रृंगार
लाली ले सूरज किकिरानूं से
पहने गहने फूलूंके
माथे पे सजा के कुम कुम
करती इन्तजार झूम झूम
भर के प्यार सीना में
सावन के महीने में
जब घिर घिर आते बादल
कारे कारे बादल पहनते काजल
घटाए हवान में जुल्फे भिक्राती
सावन के महीना में
प्यार भर के सीने में
अचानक चमक उठती बिजरी जो
तस्वीर खीच जाती जमीन की
आसमान के सीना में
सावन के महीएने में
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