थामा जो आपने हाथ
लगा बचपन से है साथ
एक बहती धारा हूँ
जिसे थामा इक मौज ने
आओ दोनों मिलके बह चलें
उस सागर की ओर
जिसका न कोई ओर ना छोर
थामा जो हाथ फिर
साथ न छोडेंगे
चलते चलते साथ फिर
साथ ना छोडेंगे
ये वादा है तुमसे
ज्यूं ज्योति संग ज्योत जले
मिले सागर से
हो सागर जैसे
मैं मैं ना रहूँ
तू तू ना रहे
मुझसे मैं
तुझसे तू खो जाये
तुझमे मैं खो जाऊं
आ मिल आलिंगन में
कुछ ऐसे दोनों खो जायें
कुछ ऐसे
6 टिप्पणियां:
nafrat karne wallo ke sine me piyar bhr duu,
Me woo parwana hu pather ko mom kar duu.
यूँही टहलते हुए आगया आपके ब्लॉग में...
सुन्दर अभिव्यक्ति है...!!!
www.nayikalam.blogspot.com
Hum tumhaare hain 'Kunwar'usne kaha thha ik din,
Man mein ghulti rahi misri ki dali meelon tak
श्रेष्ठ अभिव्यक्ति...
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