भूखे की रोटी सा चांद
प्रेमी की महबूबा जैसा
राही का हमराही बनकर
साथ निभाता राह बताता
चांद सलोना प्रीतम जैसा
मेरा मन निस दिन हर जाता
सूरज के घर भिक्षु बनकर
सन्यासी सा वह ज्योत मांगता
बदली संग रास रचाता
नभ में मोहक चित्र बनाता ..
चांद सलोना प्रीतम जैसा
मेरा मन निस दिन हर जाता
दादी नानी का प्यारा चन्दा
कथा कहानी में छा जाता
बचपन में मामा सा प्यारा
अब, प्रेमी सा रूप बनाता
चांद सलोना प्रीतम जैसा
मेरा मन निस दिन हर जाता
प्रीतम प्यारे तुम भी आओ
चन्दा बन मन में बस जाओ
अठखेली कर न तरसाओ
बन के चान्दनी ही छा जाओ
प्रेमी की महबूबा जैसा
राही का हमराही बनकर
साथ निभाता राह बताता
चांद सलोना प्रीतम जैसा
मेरा मन निस दिन हर जाता
सूरज के घर भिक्षु बनकर
सन्यासी सा वह ज्योत मांगता
बदली संग रास रचाता
नभ में मोहक चित्र बनाता ..
चांद सलोना प्रीतम जैसा
मेरा मन निस दिन हर जाता
दादी नानी का प्यारा चन्दा
कथा कहानी में छा जाता
बचपन में मामा सा प्यारा
अब, प्रेमी सा रूप बनाता
चांद सलोना प्रीतम जैसा
मेरा मन निस दिन हर जाता
प्रीतम प्यारे तुम भी आओ
चन्दा बन मन में बस जाओ
अठखेली कर न तरसाओ
बन के चान्दनी ही छा जाओ
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