दूर से देखा जो सेहर अपना
लगा गगन जमी पर उतर आया है
मिलने को जमीं से
जिधर देखूं रात सजी है
दुल्हन सी
हर दिल टिमटिमा रहा है
रोशन हो प्यार में
ख़ुशी से हर घर महक रहा
हर आंगन जुटा है पूजा में
हर एह्लीज पर
ज्योति आमंत्रण की जगी है
मीठअ सा हो रहा है मन आज
सभी की रूह में मनो रागुले पफूट रहे हूँ
सज सवर्ण कर इंसानियत
मिल रही है गले इक दूजे के
तोफे मिअलं के
ले ले कर बैठे हें सभीi
कुछ ऐसा नजारा बन रहा है
मनो राम राज लौट आया हो आज
हर घर में ख़ुशी के दीप जले हैं
आज दीपावली आई खुशिओं भरी
3 टिप्पणियां:
अमावस के घोर अन्धकार के खिलाफ दिए के साहस का प्रतीक भी तो है दिवाली !
जो थोडा भी उजियार जगे मन के अंतरतम में, तो मन का सारा कलुष मिटे और जीवन ज्योति प्रकाशित हो ! तमसो मा ज्योतिर्मय !
प्रकाश पर्व और गुरु नानक जयन्ती पर बहुत बहुत शुभकामनाएं !
kitne gehre aur khoobsoorat vichar hein
shukriya
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