तेरी याद !!
नंगे पावँ
बिन आहट
चुप चाप चली आती है
सुब्ह सवेरे
मेरी नीद के द्वारे पर
दस्तक दे मुझे जगाती है
मेरी अंखियों से
चुपके से
नींद चुरा ले जाती हे
मन के वसूने कोने में
मीठी सी
गुदगुदी सी कर जाती हे
कानों में धीरे से
प्यार के बोल
फुसफुसाती है
कर आलिंगन
चूम गले को
बालों को सहलाती है
हर पल दिल को
और रूह को
नाजुक सा छू जाती है
कभी सिरहाने बैठ देखती
कभी जगा, मुझ से बतियाती है
तेरी याद
दिन भर यूं ही
मेरा साथ निभाती है
फिर थक कर
मेरे तकिए पर
सर रख रात बिताती है
नींद उनींदी,
याद रात भर
सुख सपने दिखलाती है
फिर सुबह सवेरे
चुपके से आ
सहला मुझे जगती है
जब तुम जाते हो
पल पल भारी
यादें बहुत सताती है
जाने को तो तुम जाते हो
याद यहीँ रह जाती हैं
मुझको बहुत सताती है ।
नंगे पावँ
बिन आहट
जाती हैं - आती है ।
4 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
jitnee tareef kee jae kum hai......
ati sunder
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apnatva ji bahut bahut shukriya
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