जानती हूँ मेरे चले जाने के बाद
मुझ से बिछ्र के जाने के बाद
तुम्हें भीमेरी तरह मेरी याद तो बहुत आती होगी
जब जब बस अड्डे से गुजरते होगे
मेरी याद तो जरूर आती होगी
जब भी घर की देहलीज से कोई लौट लौट जाता होगा
उस में भी मेरी ही परछाई दिखाई देती होगी
कभी जब लम्बी ड्राइव पर अकेले जाते होगे
फ्रंट सीट का खाली पन अखरता होगा
और तब तो मेरी याद अवश्य ही आती होगी
जब जब एकेले बैठ चाएय के कप पे कप पीते होगे
तो कोई साथ दे उस के लिएय ही सही
मेरी याद तो फिर भी आती ही होगी
जब भी कोई करता होगा शिकवा शिकायत
मेरी याद दिलाता तोहोगा
लडू चाहे किसी से लड़ाई मेरी भी याद आती तो होगी
जब जब किताब पड़ने को बैठे होगे
उन में पड़े सूखे पत्ते याद मेरी दिलाते ही होंगे
उस काले बक्से से जब जब पुराने ख़त निकल पड़ते होगे
मेरी याद मुमकिन है सताती तो होगी
हर रोज़ जब निकालते हो चदर की सिलवटें
तो याद मेरी है जो तुम से लिपट लिपट जाती होगी
जब जब फ़ोन की घंटी बजती होगी
तुम्हें लगता तो होगा की मेरी ही कॉल होगी
रोज़ कोम्प्पुटर ऑन करते ही मेरे सन्देश ना पा कर
मेरी बहुत याद आती होगी
हर छूती के दिन इन्तजार करते होगी जब मेरे
में नहीं आती तो मेरी याद तुम्हें बहुत सताती तो होगी ना
इक बार जो बुला लोगे प्यार से में लौट आऊंगी
में गया वक़्त नहीं की फिर आ ना सकूं
बस एक बार आवाज दे कर तो देखो
लो में तो आ भी गई
2 टिप्पणियां:
Loo Aa gayi unki yaad voo nahi aaye
Muhabbat kek khushboo hai hamesha saath rehti hai,
Koi Insan tanhai mein bhi tanha nahin hota.
Bashir Badra
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