मंगलवार, 15 जनवरी 2013

इंतजार

पलके झपकना भूली
पर दिल धर्क्ता है आज भी 
दिन उगता है इस आस लिए
सांझ सपने बुनती रहती 
तलब ऐसी जो मिटाए ना बने 
आग ऐसी जो भुजे ना बने 
येह्दिल की लगी नहीं पल दो पल की
यह इन्तजार हैं जन्मून के 
यह प्यास नाबुझे गी कभी 
यह इंतजार होई हैं मेरी जिंदगी अब
 

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