शनिवार, 6 जून 2009

raahein

न आती देखी
न देखी कभी जाती
सब कहते हैं
यह राह मुझे
मेरी मंजिल पहुचाती
रहती सदा स्थिर
एक ही करवट
ता उम्र
मिटती जाती
आह न भरती
जलती दिन भर
कड़कती धुप में नंगे पाँव
सरपट भागती जाती
जड़े में भी न मौजे पहने
न जूते न चपल
बर्फ सी ठंडी हो जुम जाती
कौन सुने इस के कहने
न गिला करती न शिकवा कोई
कहने सब के माने
घर पहुंचाए काम ले जाए
सब के सब हैं इस के अपने
पर न होती किसी यह
जब राह भूलती जिस को यह
न मंजिल न काम पहुंचती
कहाँ रह गया घर
जाने किसको
गर न होती राहें
तो मंजिल काम न घर ही होते
होते भी सब
पर कोई पहुँच न पाता
बिन राहों के पहुंचे कौन

paimana teri yaad ka

बैठ कर मैखाने में प्यार के
जाम पे जाम पिए तेरी याद के

पैमाना प्यार का छलक छलक जाता हे
जब मैखाने में तू नजर आता हे

आन्खून में भर के जाम इन्तजार के
जाम पे जा पिएय तेरी याद के

देख फटे हाल मेरे दिल के
मैखाने का हर जाम छलक जाता हे

साकी बुझाए प्यास सब की
खुद प्यासा ही जाम मर जाता है

भरा भरा सा हर जाम
हर शाम भर भर खाली हो जाता हे

नजरूं के जाम जो पि ले कभी तू
देखना मेखाना कैसे झूम झूम जाता हे