शुक्रवार, 29 मई 2009

mehal ho sapno ka

आचल के तुजे में ले के चलूँ

ख्वाबून के पंखून पे हो के सवार
च चले क्षतिज के उस पार
महल ऐसा बनाए जिसके न हूँ दरू दिवार
जहां हो बस में तुम और प्यार ही प्यार
यह कैसा अजुनूं हे सवार
इस से मन गया हार
आ चल के चले उस पार
जहां फूल ही फूल हे नहीं कोई खार
दे दूं तुझ को बाहूं के हार
बेबस हो के तू दिल जाए अपना हार
आ जा के हो के ख्वाबो के पंखून पे सवार
चले हम दोनों करे बस प्यार ही प्यार

meri dor

अब डोरे मेरी पतंग की हे तेरे हाथ
रहन सदा मुझे हे तेरे ही साथ
वादा कर की न छोरे गा साथ
भले ही अभी छूट जाए हाथ

तेरी बन जाऊं गी
तेरी ही हो जाऊं गी
तू कहे दिन तो दिन बन जाऊं गी
रात भी कहे गर तो रात हो जाऊं गी
तेरी ख़ुशी तेरी मुस्कान तेरी हंसी बन जाऊं गी
तेरी चाहत
तेरी राहत तेरा सकूं बन जाऊंगी
तेरे लिए दुनिया के सुब ताने सह जाऊंगी
हर गम दुनिया का अपनाऊँ गी
तेरे नाज़ नखरे सुब पल्कूं पे उठाऊँ गी
गर तू जो कहे भूल जा
में तुझे न कभी भूल पाऊँ गी