कैसी है जिंदगी
इक अजूबा है
 जब हम  हार बैठते हैं
तो कोई  कहीं से तिनका मात्र
 आ बन जाता है जीवन का सहारा
हाँ नजर चाहिए
उस तिनके को
उस मोके तो प्र्ह्चान्ने के लिएय
ख्वाब सब पुरे होने लगते हैं
 सब और हरियाली फेल जाती हेई
 खुस्बूएं हर सु मनो बहार
 जीवन में आ जाती है
 जिंदगी नए सिरे इ जीने को मन होने लगता है
 यह मन भी कितना बांवरा
 होता है
 जो कल थक अपना हो पल में पराया हो जाता है
 लाख मानाने पर भी लौट कर नहीं आता
 रहता है किसी से संग
साथ निभाता है
 पर सिर्फ टीबी तक जब तक
मिलता रहता है
 प्यार
जीवन टिका है प्यार की बुनियाद पर
 जो जितनी नाजुक उतनी ही मजबूत भी होती है
 जिसे दुनिया की कोई ताकत नहीं तोरे सकती और गर टूट जय तो तो कोई जोरे नहीं सकती
 प्यार धेरून
 पर्बतून समन्द्रून
आकाशून
 धरती
 सब नक्श्त्रून से भी बढ़ कर मले आप को
 मेरी तरफ से
 सिर्फ इक कविता के बदले
 
