प्रभु मेरे मन की मन्नत सुन ले !
पेडों पर मन्नत की झंडियां
टूटते तारे से दुआएं .. मनौतियां ..
पलक के गिरे बालों से कभी
मन्दिर में घंटियां बांध कर कभी
की है जो मन्नतें
प्रभु मेरे मन की मन्नत सुन ले !
तेरे द्वार नंगे पैरों से सफर तीरथ को जान ..
कभी मंगल का लंघन तो कभी शनि का दान ...
तेरी मन्नत के लिये रोज़े रमज़ान ...
शमा गिरजे मे रोज़ रोज़ तेरे ही नाम...
की है जो मन्नतें
प्रभु मेरे मन की मन्नत सुन ले !
जैसी भी हो मन्नतें आधी अधूरी
तू ही प्रभू है तुझे ही करना है पूरी
मन खरीद ले तू ही मेरा ..
पूरा कर दे इस बाज़ार का दस्तूर
बिक जाऊं तेरे लिए ए मेरे प्रभु...
प्रभु मेरे मन की मन्नत सुन ले !