रविवार, 6 सितंबर 2009

अभिनन्दन

अभिनन्दन


सुबह सुबह की महकती हवा
नए जन्मे बच्चे सी ताज़ा
ज्यों धीमे धीमे आँख खोलती
पंख फैलाए चिडिया के नन्हे बच्चे सी
नयी कोपल सी कोमल महकती गुनगुनाती हवा ...


खिली हंसी सी खिली खिली सी धूप घर के आंगन में मीठी मीठी सी धूप
मौसम की शीतलता का पैगाम लाती गुनगुनी लुभावनी धूप ......


चहकती चिडियां
आँगन में रंग बिरंगी फूलों सी बिखरी
पांव पाव फुदकती दाना चुगती चिडिया... संदेसा देती खुले मौसम का ... सुहाने दिनों का ...


नन्हे नन्हे पैरों से भागती फिरती गिलहरियां
कभी कभार बेझिझक बेहिचक से हिरन...
चुपचाप चरते बिचरते आ जाते हैं घर के पिछवाडे में...
लगने लगता है बहार है यहीं कहीं करीब ही
देते हुये एक मुस्कान सी हर दिल में
एक उम्मीद सी हर नजर में
एक होंसला सा हर रूह में

हर दृश्य एक खबर है.. खुशी की खबर
ज्यों आकाशवाणी कर दी हो किसी ने
मन के गुलशन में इन्द्रधनुष छा जाने की
महक उठी हों जीवन की सांसें बागों के फूलों सी जग के रचनाकार ने करवट बदली है ...

नए मौसम का अभिनन्दन है