कची नींद में करवट बदलते ही
एहसास जग जाएं तो मालूम होता है
मेरे मालिक का हाथ है सर पर मेरे
आँख खोल देख पाती हूँ
गर झरोखून से उस पार
जहां रहता है मेरा प्रीतम प्यारा
समझ जाती हूँ
नहीं मेरे भीतर ही है
यहीं है मेरे आस पास
दिन भर की हर मुस्कान
है उसी का आशीर्वाद
झाँक झाँक मेरी आन्खून से
देखे सब संसार
फिर कहे हौले से मेरे कानो में
कर प्यार प्यार कर
हर सु मैं ही हूँ बिखरा हुआ
कण कण हूँ मैं ही बसा हुआ
मेरा ही रूप है तू भी
कर ले खुद से भी प्यार
बस प्यार ही प्यार