नयनों के दीपक जला,
कर पलकों की ओट
छुपाए पावन झकोरों से 
प्रीत प्यार की  ज्योत
 
ठहरी है धड़कन मन की
यही कहीं देहलीज़ पर
कब आओ गे प्रीतम प्यारे
तुम मन की देहलीज़ पर
बुझ ना जाए आस मेरी
यही है डर मुझको भारी
पलक झकोरे खोले बैठी
इंतज़ार में मैं बेचारी
सो ना जाए धड़कन मेरी
कब आओगे क्या  है देरी
हवा में खोजूं  महक तुम्हारी
फिजां में बसी हो सांस तुम्हारी
आस  तुम्हारी साँसें  मेरी 
हर आहट पर आसें मेरी
हर साया,  कि ज्यों तुम  तुम आए
कब आओगे क्या  है देरी
कब आओगे क्या  है देरी
 
