पंख लगालूँ  ख्वाबों  के
उड़ती जाऊं  दूर गगन में
इस  डाली से उस डाली
ठुमुक ठुमुक  कर पाँव पाँव भी
कभी पेड़ तो कभी छाँव भी 
मैं चिडिया एक प्रेम पुजारन !!
भेद नहीं  घर में  आँगन में
उजडे खँडहर बसे महल में
भेद नहीं  जंगल खेतों में
घर के आगे , पिछवाडों में
मुन्ना गुडिया खेल खेलते
मैं भी अपना मीत ढूँढती
मैं  चिडिया एक प्रेम पुजारन !!
चहकूं  बीच घने जंगल में 
कुहकूं बीच हरे खेतों में
आये बुढापा या यौवन हो 
मदमाता पन हो रातों में 
मैं  चिडिया एक प्रेम पुजारन !!
चोंच प्रेम की तिनका चुनती
पल पल यादों  के आँगन में
इक  इक धड़कन  बीन बीन  कर
 सदा निरंतर  सपने  बुनती
मैं  चिडिया एक प्रेम पुजारन !!
तिनका तिनका जोड़ जोड़ कर
बड़े जतन से ठियाँ सजाती
मौसम चाहे जो हो लेकिन
प्रेम मगन हो बस इठलाती
 
मैं  चिडिया एक प्रेम पुजारन !!
आशाओं का घने पेड पर
मन का एक घरोंदा है
मन के मीत की उम्मीद लिए ही
तिनका तिनका जोड़ा है
 
मैं  चिडिया एक प्रेम पुजारन !!
मीत मिल गया
प्रीत सज  गई
गीत बज गया
रीत चल गयी
प्रेम मगन हूँ शब्द चुक गए
प्रेम पुजारन कहीं खो गयी
बचे कहाँ तुम बची कहाँ मैं ?
दोनों मिल कर एक हो गए
मैं  चिडिया एक प्रेम पुजारन !!
 
