कभी तू झरना झर-झर प्यार 
 कभी बासंती  - मस्त  बयार  
 कभी परबत सा ठहरा ठोर 
 कभी सन्नाटा हर ओर
 कभी तू निखरी निखरी धूप 
कभी चाँदनी सा मृदु रूप
 कभी चाँदनी सा मृदु रूप
कभी  तू तितली वन उपवन
कभी  भंवरे की सी गुनगुन  
कभी कश्ती  कभी पतवार 
कभी साहिल कभी मझधार
 कभी साहिल कभी मझधार
कभी पतझड़  कभी बहार
कभी इस पार कभी उस पार
 कभी इस पार कभी उस पार
में हूँ जो तेरी  परछाई ...
 तू जिस दिस जाए मैं जाती हूँजिस रंग में तू रंग ले साजन
में वैसी ही हो जाती हूँ
 
