शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009

ना तेरे आने की खबर
ना जाने का सबब
दिल कांप उठा है सीने में
जब जब तेरी याद आती है

नए तेरे पाने की ख़ुशी
ना जुदाई का है गम
बस यूंही आन्हें भरा करें हम
जब जब अँधेरे चने लगते हैं

ना हो सके हम ही तेरे
ना ही तू हुआ हमारा
पर तेरा किस और का हो जाने
नहीं इस जिंदगी को गवारा

ना मंजिल है कोई
ना कोई हमराह -इ रकीबा
बस यूंही धारका करे गा
यह दीता उम्र आवारा

ना माय ना साकी ना मैखाना
लाबून तक पहुँचने से पहले ही
छलक गया मेरा पैमाना

बस इतना बता दे मुझे ना खुदा
क्या यही है नसीब मेरा
जलना और जलना बस
जाल जल के ख़ाक हो रहना

की अभी है कुछ बाकि
मेरे हिस्से की
तेरे मैखाने में मेरे खुदा

diwali

दूर से देखा जो सेहर अपना
लगा गगन जमी पर उतर आया है
मिलने को जमीं से

जिधर देखूं रात सजी है
दुल्हन सी
हर दिल टिमटिमा रहा है
रोशन हो प्यार में

ख़ुशी से हर घर महक रहा
हर आंगन जुटा है पूजा में

हर एह्लीज पर
ज्योति आमंत्रण की जगी है

मीठअ सा हो रहा है मन आज
सभी की रूह में मनो रागुले पफूट रहे हूँ

सज सवर्ण कर इंसानियत
मिल रही है गले इक दूजे के

तोफे मिअलं के
ले ले कर बैठे हें सभीi

कुछ ऐसा नजारा बन रहा है
मनो राम राज लौट आया हो आज

हर घर में ख़ुशी के दीप जले हैं
आज दीपावली आई खुशिओं भरी