जिन्दा रहने के लिए काफी है
 
इक मुठी आसमान
ताजा  हवा के झोंके
झरने का शीतल निर्मल जल
जिन्दा रहने के लिए काफी है
सर पर इक छापरी छोटी सी
इक चूल्हा  इक हंडिया
इक थाली इक कटोरी इक गिलास 
एक दो मुठ्ठी  अनाज
पेट भरने के लिए काफी है
इक चटाई इक बिछोना
इक ओढनी इक तकिया
इक लोरी कुछ मीठे सपने
नींद लेने को काफी है
इस के अलावा जो है सब
इक भेड चाल है बस  दिखावा 
इक झूठा सच या डरावना ख्वाब
नही जिस के लिए कोई माफ़ी है
इंसान को इंसान होने के लिए
इक दिल दरिया , दया और ज़मीर 
इक जेहन सूझवान
इक रूह प्यारी सी काफी है
इस देह के मनमन्दिर में
इक सिंहासन हो हरि का
ज्यों सोने चांदी  का रत्न जडाऊ
इक मुकट इक हीरे जरी खडाऊं
जिस की करें पूजा  और ध्यान
इबादत में  झुका सर
समर्पित जीवन  के लिए काफी है
 
