सोमवार, 8 जून 2009

sapne

चांदनी रात में भीगी बरसात में
जग जग तारे गिनना अच्छा लगता है

कड़कती धुप मैं नंगे पावं छत पे जा के
तुम से मिलना अच्छा लगता है

रात में जागना
दिन में सपने बुनना अच्छा लगता है

तुम से मिलना
बातें करना अच्छा लगता है

कुछ अपनी कहना
तुम से सुनना अच्छा लगता है

घंटों सामने बैठ
तुम को तकना कुछ ना कहना अच्छा लगता है

झूठ बोल छुप छुप
चोरी चोरी तुम से मिलना अच्छा लगता है

प्यार हुआ इकरार हुआ
कहना सुनना अच्छा लगता है

सिखियूं में बैठ
तुन्हारी बातें करना अच्छा लगता है

कोई जो कह दे
तुम्हारी हूँ में सुनना कहना अच्छा लगता है

लिखना नाम अपना
साथ तुम्हारे नाम के अच्छा लगता है

सागर किनारे
साथ तुहारे घूमना फिरना अच्छा लगता है

मिल कर बिछ्रना
फिर मिलने का इन्तजार करना अच्छा लगता है

तुम से मिलना
मिलते रहना कभी न बिछड़ना अच्छा लगता है

जीवन का हर सपना अब अच्छा लगता है

1 टिप्पणी:

RDS ने कहा…

स्वप्न सुनहरे होते हैं उड़ान होते हैं इसीलिये भाते हैं | स्वप्न न हों तो हकीकत का मरुस्थल हम सब को कैक्टस बना दे | जो न मिल सका उसी का स्वप्न | स्वप्न भ्रमित रखते हैं लेकिन ऊर्जा भी देते हैं | आपके स्वप्न भ्रम न बने बल्कि हकीकत ही बन जाए, शुभकामना है !!!

- RDS