बुधवार, 30 सितंबर 2009

मेरा सपना

मेरा सपना

अम्बर से हर बूँद बटोरूं
प्रेम - ओस की प्यासी मैं
रुन झुन चलूं गगन मंडल में
बादल की करूं सवारी मैं !!

कतरा कतरा पंखुडियों का
भर अंजुली में इतराऊं
चन्दन सी काया बन जाउं
श्रृद्धा - गीत निरंतर गाऊं !!

प्रेम जगत के पथिक संग ले
प्रेम पंथ पर जल बरसाऊं
मैं मीरा बन नाचूं गाऊं
मै नदिया बन बहती जाऊं !!

मै बनूं वृक्ष और छाया दे दूं
थके हुए झुलसे हृदयों को
बनूं मरहम और जख्म मिटाऊं
गोद बनूं और रोग मिटाऊं !!


भूखे को भोजन बन जाऊं
बनूं सहारा मैं निर्बल का
सिद्धार्थ हृदय बन पीडा हर लूं
फिर मीरा बन नाचूं गाऊं !!

2 टिप्‍पणियां:

RDS ने कहा…

श्रेष्ठ अभिव्यक्ति !!

ashokjairath's diary ने कहा…

Sab bun jaana, Sab ban jaao,
Sham hui hai kam se thak kar ab ghar jaao,
Goli khaao jo dukhta ho waise hi sar,
Bistar pe ja leto kuchh pal bund karo ye bhari palkein
Maathhe par mehssoos karo wo haath puraana,
Dekho chhoo lo dundhle se beete se pal ko

Paaogi ki tum waisi ki wasi hi ho...