रविवार, 1 मई 2011

तेरी याद में

याद तेरी बस आती है

दिल की धडकन बढ़ जाती है

चित चैन कहीं खो जाता है

जब तू ख्याल में आता है |

स्पर्श सभी जग जाते हैं

आँखें भी नम हो जाती हैं

आँखों से आंसूं झरते हैं

ज्यों मन का ताप पिघलता है

पल-छिन महीने बरस-बरस !

दिल मिलने को गया तरस !

पलक पांवड़े बिछा राह में

सदियों से मन की एक पुलक !

चाँदनी रात की चादर पर

कदम कदम हम बढ़ते हैं

मंजर, सफ़ेद पन्नो पर ज्यों

कुछ हरफ –ब-हरफ उभरते हैं

कि, यकायक ही हर सु

कविता सी बिखरने लगती है

जिसे समेटे आँचल में हम

दिन रात मचलते फिरते हैं

यही धरोहर छुपा जगत से

सीने से लगाए फिरते हैं

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