चाँद निकलता हे मेरे लिए
 शायद अम्मवास भी आती हे मेरी ही लिए
चढ़ता  हे सूरज मेरी लिए
अस्त भी होता हे मेरे ही लिए
चलती हे हवाए सन्न सनन मेरे  लिए
गूम्मा सा होजाता हे जब रूकती हे हवाए मेरे ही लिए
मौसम आते जाते हे मेरे लिए
खिलते मुरझाते हे फूल मेरे ही लिए
बहते  हे जो झरने कल कल मेरे लिए
तो रुके  ठ्हेरे पानी भी हे मेरे ही लिए
उमर्ध उमर्ध आती हे घटाए  गर मेरे लिए
तो  छमा छम  कभी  रिम झिम बरसती हे मेरे ही लिए
खुश  हे फिसाए उदास भी हो रहती मेरे ही लिए
सारी कायनात ही हस्ती रोटी भी हे मेरे ही लिए
जब से
बन के प्यार तुम आए मेरे लिए
गुमान न कर्रूँ  में मेरे लिए
इतना न इतराऊँ  में मेरे ही लिए
क्यूं में जो हूँ तो बस तुम्हारे ही लिए
 
 
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