शुक्रवार, 29 मई 2009

meri dor

अब डोरे मेरी पतंग की हे तेरे हाथ
रहन सदा मुझे हे तेरे ही साथ
वादा कर की न छोरे गा साथ
भले ही अभी छूट जाए हाथ

तेरी बन जाऊं गी
तेरी ही हो जाऊं गी
तू कहे दिन तो दिन बन जाऊं गी
रात भी कहे गर तो रात हो जाऊं गी
तेरी ख़ुशी तेरी मुस्कान तेरी हंसी बन जाऊं गी
तेरी चाहत
तेरी राहत तेरा सकूं बन जाऊंगी
तेरे लिए दुनिया के सुब ताने सह जाऊंगी
हर गम दुनिया का अपनाऊँ गी
तेरे नाज़ नखरे सुब पल्कूं पे उठाऊँ गी
गर तू जो कहे भूल जा
में तुझे न कभी भूल पाऊँ गी

कोई टिप्पणी नहीं: