शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

diwali

दूर से देखा जो सेहर अपना
लगा गगन जमी पर उतर आया है
मिलने को जमीं से

जिधर देखूं रात सजी है
दुल्हन सी
हर दिल टिमटिमा रहा है
रोशन हो प्यार में

ख़ुशी से हर घर महक रहा
हर आंगन जुटा है पूजा में

हर एह्लीज पर
ज्योति आमंत्रण की जगी है

मीठअ सा हो रहा है मन आज
सभी की रूह में मनो रागुले पफूट रहे हूँ

सज सवर्ण कर इंसानियत
मिल रही है गले इक दूजे के

तोफे मिअलं के
ले ले कर बैठे हें सभीi

कुछ ऐसा नजारा बन रहा है
मनो राम राज लौट आया हो आज

हर घर में ख़ुशी के दीप जले हैं
आज दीपावली आई खुशिओं भरी

3 टिप्‍पणियां:

RDS ने कहा…
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RDS ने कहा…

अमावस के घोर अन्धकार के खिलाफ दिए के साहस का प्रतीक भी तो है दिवाली !

जो थोडा भी उजियार जगे मन के अंतरतम में, तो मन का सारा कलुष मिटे और जीवन ज्योति प्रकाशित हो ! तमसो मा ज्योतिर्मय !

प्रकाश पर्व और गुरु नानक जयन्ती पर बहुत बहुत शुभकामनाएं !

harminder kaur bublie ने कहा…

kitne gehre aur khoobsoorat vichar hein
shukriya