पतझड़ के सूखे पेड
मुरझाए फूल
पथरीली चट्टान
ठहरे झील के पानी से
रात अमावस की
कडकती दोपहरी बैशाख की
तूफानी हवाएँ
वीरान फिज़ाएँ
इतनी खामोशी
कभी उदासी हो नाम हमारा ...
कभी कहानी
अधूरी सी
तो कभी कविता
अनकही
टूटते सपने कहीं
नाउम्मीदी कभी
जो भी हों
जहां भी हों
हम
दुःख ही होते हैं
दुःख ही देते हैं
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