बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

घनी इक छांव से हो तुम


सुहानी शाम से हो तुम
बसंत बहार से हो तुम

घनी इक छांव से हो तुम
सुकूँ-आराम से हो तुम


मधुर संगीत से हो तुम
मधुर झंकार से हो तुम

मधुर मुस्कान से हो तुम
मेरी तो शान से हो तुम

कोई सपना सा हो तुम
मेरा अपना सा हो तुम

मेरे दिल की धडकन तुम

मेरी सांसों की सरगम तुम


अनबुझी-प्यास से हो तुम

अनकही-आस से हो तुम

मेरी तो जिंदगी हो तुम
मेरी तो जान ही हो तुम ........

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