सुहानी शाम से हो तुम
बसंत बहार से हो तुम 
घनी   इक छांव  से हो तुम
’सुकूँ-आराम’ से हो तुम 
मधुर संगीत से हो तुम
मधुर झंकार  से हो तुम
मधुर मुस्कान से हो तुम
मेरी तो ‘शान’ से हो  तुम
कोई  सपना सा हो तुम
मेरा अपना सा हो तुम 
मेरे दिल की धडकन तुम
मेरी सांसों की सरगम तुम
अनबुझी-प्यास  से हो तुम  
अनकही-आस से हो तुम
मेरी तो जिंदगी हो तुम
मेरी तो जान ही हो  तुम ........
 
 
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