शुक्रवार, 10 जून 2011

>नजरूं से उतर कर
> चल के के पाऊँ पाऊँ
>धर्कनू पर हो कर सवार
>लगाम ले कर हाथूं में
>दौराते घोड़े अपनी धरकनो के
>छू लो मुझे
>थाम लो मेरे हाथ आज
>समेट कर सब अपने जज़्बात
>रोक लो साँसे अपनी
>खो जाओ
>सपनो में
>और आ जाओ ..........................
>
>मेरे दिल के आगोश में ............
>
> बस रहो
> कर लो घर इसे अपना
> की आज घर पर कोई नहीं
>बस में और तुहारी यादें
>खेल रही हैं आंखमिचोली
>
>अब चले भी आओ ना सताओ
>की थक गई हैं साँसे मेरी
>अब नहीं तक सकती और राह तुम्हारी
>मेरी नजर कमजोरे हो चली
>
> किवाड़ भी तक तक ऊंघने लगा है
> दस्तक को भी ऊंचा सुनने लगा है
>
>चले आओ अब तो
>की मूँद पाऊँ मैं यह पलकें थकी थकी

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