शनिवार, 30 मई 2009

ek sawaal

मिल जाये जो आज मन मरे
तो फूछूं उससे
कहाँ खोया रहता हे आज कल
ध्यान पर जो पर जाए नजर आज मेरी
तो खबर लूं उस की भी
की किधर की उर्धान भर रहा हे आल कल
कदम जो थम जी थम पल भर को
तो करून सवाल उन से में
की उठते हैं किस की और जाने आककल
कलम को रोके के कहा मेने
के काया लिखती र्हिरती इ किस किस से बातें करती रहती हे आज कल
मन ने कहा तेरे ससाथ
ध्यान बोला तेरे पास
कदम भी चले तेरी और
कलम ने कहा तेरे बिन नहीं कोई और

1 टिप्पणी:

Apanatva ने कहा…

acche bhav per likh kar aapne blog swayam pada nahee kafee type karane me mistakes huee hai usase shavd badal jate hai.... Anyatha mat leejiyega.....
s sneh