गुरुवार, 10 सितंबर 2009

लम्हा लम्हा पल पल छिन छिन

छिन छिन करते रहे तुम से प्यार
पल पल करते रहे बस इन्तजार

लम्हा लम्हा जिंदगी यूहीं कहीं घटती रही
कतरा कतरा हम यूंहीं मरते रहे


टिक टिक करती घडी इंतेज़ार की
देती रही पल पल मेरे सीने में जखम
जार जार रोता रहा एतबार का मंज़र
मर मर के जिये कैसे कोई तज़बीज़ दे मरहम
लम्हा लम्हा जिंदगी यूहीं कहीं घटती रही
कतरा कतरा हम यूंहीं मरते रहे

थम थम वक़्त यूंही सरकता रहा
और हम, कदम दर कदम बढते रहे
जिन्दगी की रोशनी कहीं खोती रही
दम दम सिसकता सा सरकता रह गया यह दम
मर मर के जिये कैसे कोई तज़बीज़ दे मरहम

और तुम्हारी याद में घुटने सा लगा यह दम
छिन छिन मिलने वाली छिन गयी हर ख़ुशी
बूँद बूँद आंसू टपकते औ' सिसकते हम
सिसक सिसक यूं जिंदगी चलती रही


थम थम के भी तो देख लो पल भर जरा
रुक रुक के दीदार दिल का कर तो लो
जरा जरा सा क्यों करो एतबार तुम
भरा भरा है प्यार तो तुम मिल तो लो
थमी थमी सी जिंदगी पल पल गुज़र ही जायेगी
बहने लगेगी प्रीत , प्रीतम मिल तो लो

थम थम के भी तो देख लो पल भर जरा
रुक रुक के दीदार दिल का कर तो लो

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