गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

सैंया मेरे !

सैंया मेरे !
मेरे गीतों के बोल
मुझे लौटा दे
मेरे आंखों के सपने
लौटा दे
लौटा दे मेरी नींदे
रातों की
मेरी सेज मुझे लौटा दे
मेरे सैंया
लेले मेरे दिन,
मेरी रातें भी ले ले
पर
लौटा दे मेरे वो मौसम सुहाने
लौटा दे
लौटा दे
चाहे ले ले दौलत सारी
लूट भले ले सभी खजाने

पर मुझ को मेरी यादें
लौटा दे
लौटा दे
सैंया मेरे

मुझ से साँसे ले ले मेरी
धक धक करता दिल भी ले ले
पर तू मुझको मेरे
अटके प्राण अभी लौटा दे
सैंया मेरे
तू मेरी सब सखियाँ ले ले
ले ले सारे सगे बिराने
लौटा दे तू मीत मेरा
प्रीत मेरी भी तू लौटा दे

मेरे सैंया
चाहे ले ले खुशियाँ सारी
लूट ले होठों की मुस्काने
लौटा दे मेरे दर्दों को
और दुआ भी सब लौटा दे
तुझ बिन नीरस निष्फल जीवन
तू लौटा दे मुझ को आहें
सिसकी आह सभी लौटा दे

सैंया मेरे
तू मेरी सब सखियाँ ले ले
ले ले सारे सगे बिराने
बस इक रिश्ता मेरा प्यार था
तेरे पास है अब लौटा दे

1 टिप्पणी:

मनोज कुमार ने कहा…

कविता बहुत अच्छी लगी। ज्यों-ज्यों पढता गया, कविता बांधती गई।