मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

जिंदगी

जिंदगी


बहुत खूब और अजीब होती है जिंदगी

रहती तो है करीब पर न होती है कभी

चलती है साथ साथ साए सी ज़िन्दगी ।
मगर बहुत दूर सी लगती है जिंदगी ॥

आज इस के पास है तो कल उस के पास ।

मेरा ही कुछ गुनाह कि मेरी हुई न जिंदगी

क्यूँ न कर सकी वफ़ा मुझ से ही मेरी जिंदगी
कर के वादा भूल कयों गई मुझे ये जिंदगी



देखना रूठ ना जाना कहीं मुझ से एह जिंदगी

यूं हिकभी जो मूह फेर लिया तुने
तो मौत के घर चली जाए गी यह डोली मेरी
एह जिंदगी

मुठियाँ


मुठियाँ

कस के बंद कर लेने से
ना थाम सकते हैं हम
समय को ना यादूं को
नहीं ही दिन की धुप को
अपने साए
चांदनी की खुशबू
बूँदें बरिशूं की
उठती गिरती लहरून की रवानगी को
चमकती बिजलियूँ को
सपनो को
ख्यालूँ को
सोच को

बस समंदर किनारे की बालो
सामान होते हैं यह सब
जितना स्टे हैं हम
मुथियूं को
उतना ही खोते हैं
चले छोड़ दें ढीली कर देखें यह
मुठियाँ
सारा जहाँ हमारा हो रहे गा
ना कुछ पाने कीछा ना खूने का डर

मुठियाँ खोल दो सभी
मुठियाँ

यूं ही नहीं

कभी हाथूं से नहीं
सान्सून से नहीं
दिल के तारून से बंधी हैं
गांठे हैं यह पक्की
यदुन की मोहताज नहीं हैं
रित सी नहीं हैं
जो खिसक जाएंगी बंद मुथिओं से
सदियूं से पहले युगून से परे
जनामून से बढ़ कर
होते हैं यह रिश्ते
मिलन जो आत्माओं के हॉटइ हैं
बाद्लूँ की ओट से
झांकती यह जो बिज्लोइयाँ हैं
यह हैं साक्षी हमारे ओने के
हमारे साथ की
कहती हैं यह कहानियां
यूं ही नहीं होते हैं यह मन के रिश्ते


क्यूं ,
इतनी पीढ़ा
इतनी उदासी
कयूं
इतना खींचते हो
खुद से लड़ते हो
झगड़ते हो
कयूं
हमेशा सीधे सीधे देखते हो
खुद को मंजिल को

... ये पीड़ा ये परेशानी
ज़रा सी बात है समझो ......

तुम्हारे साथ हैं सूरज
तुम्हारे साथ बरसातें

चमकती चोटीयाँ हैं
और हैं बातें जहानो की
बहुत से चाहने वालूं की

ज़रा देखो नज़ारे ढूँढ़ते हैं
जिंदगी तुममे

इन्हें बाहों में भर लो और
छू लो हर सितारे को

तुम्हआरी उम्मीदों से
रोशन कितनी राहें हैं

थक कर कहीं पे बैठ न जाना मेरे साथी

उठो थाम लो अंगुली खुद की
बदलून के उस पार
है एक जहां
जहां होंगे सब सपने साकार