क्यूं ,
इतनी पीढ़ा
इतनी उदासी
कयूं
इतना खींचते हो
खुद से लड़ते हो
झगड़ते हो
कयूं
हमेशा सीधे सीधे देखते हो
खुद को मंजिल को
... ये पीड़ा ये परेशानी
ज़रा सी बात है समझो ......
तुम्हारे साथ हैं सूरज
तुम्हारे साथ बरसातें
चमकती चोटीयाँ हैं
और हैं बातें जहानो की
बहुत से चाहने वालूं की
ज़रा देखो नज़ारे ढूँढ़ते हैं
जिंदगी तुममे
इन्हें बाहों में भर लो और
छू लो हर सितारे को
तुम्हआरी उम्मीदों से
रोशन कितनी राहें हैं
थक कर कहीं पे बैठ न जाना मेरे साथी
उठो थाम लो अंगुली खुद की
बदलून के उस पार
है एक जहां
जहां होंगे सब सपने साकार
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