मंगलवार, 6 दिसंबर 2011


यूं ही नहीं

कभी हाथूं से नहीं
सान्सून से नहीं
दिल के तारून से बंधी हैं
गांठे हैं यह पक्की
यदुन की मोहताज नहीं हैं
रित सी नहीं हैं
जो खिसक जाएंगी बंद मुथिओं से
सदियूं से पहले युगून से परे
जनामून से बढ़ कर
होते हैं यह रिश्ते
मिलन जो आत्माओं के हॉटइ हैं
बाद्लूँ की ओट से
झांकती यह जो बिज्लोइयाँ हैं
यह हैं साक्षी हमारे ओने के
हमारे साथ की
कहती हैं यह कहानियां
यूं ही नहीं होते हैं यह मन के रिश्ते


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