रविवार, 8 अप्रैल 2012

ऐसा हो नहीं सकता

आंसुओं की लगी हों कतारें
या हों यादूं के सिलसिले
और तेरा जिक्र नहो
ऐसा तो हो नहीं सकता


उदासियूं का मेला लगा हो
या हो रौनके चुपिऊँ की
और तेरा जिक्र ना हो
ऐसा हो नहीं सकता

वीरानू का हो जमघटा
या हो तन्हाई की बातें
और तेरा जिक्र नहो
ऐसा तो हो नहीं सकता

यूंही जाड़ों की करें कहानियां अगर
या सूखे पते मिलें किताबून मेंकभी
और तेरा जिक्र ना हो
ऐसा हो नहीं सकता

टूटते ख्वाबून की आहट हो
या हों लम्बी काली रातोकी बातें
और तेरा जिक्र ना हो
ऐसा तो हो नहीं सकता

कभी विदा करें जो किसी को
किसी मोडपरयूं ही रुक जाएं जो कदम
और तेरा जिक्र ना हो
ऐसा तो हो नहीं सकता

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