आंसुओं की लगी हों कतारें 
या हों  यादूं के सिलसिले 
और तेरा जिक्र नहो
 ऐसा तो हो नहीं सकता 
उदासियूं का मेला लगा हो
 या हो रौनके चुपिऊँ की 
और तेरा जिक्र ना हो
 ऐसा हो नहीं सकता 
वीरानू का हो जमघटा 
 या हो तन्हाई की बातें 
और तेरा जिक्र नहो
ऐसा तो हो नहीं सकता 
 यूंही जाड़ों  की करें  कहानियां अगर
या सूखे पते मिलें किताबून मेंकभी 
और तेरा जिक्र ना हो
 ऐसा हो नहीं सकता
 
 टूटते ख्वाबून की आहट हो 
या हों लम्बी काली रातोकी  बातें
और तेरा जिक्र ना हो
ऐसा  तो हो नहीं सकता 
कभी विदा करें  जो किसी को 
 किसी मोडपरयूं ही रुक जाएं जो कदम 
और तेरा जिक्र ना हो
 ऐसा तो हो नहीं सकता 
 
 
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