पलके झपकना भूली
पर दिल धर्क्ता है आज भी
दिन उगता है इस आस लिए
सांझ सपने बुनती रहती
तलब ऐसी जो मिटाए ना बने
आग ऐसी जो भुजे ना बने
येह्दिल की लगी नहीं पल दो पल की
यह इन्तजार हैं जन्मून के
यह प्यास नाबुझे गी कभी
यह इंतजार होई हैं मेरी जिंदगी अब
पर दिल धर्क्ता है आज भी
दिन उगता है इस आस लिए
सांझ सपने बुनती रहती
तलब ऐसी जो मिटाए ना बने
आग ऐसी जो भुजे ना बने
येह्दिल की लगी नहीं पल दो पल की
यह इन्तजार हैं जन्मून के
यह प्यास नाबुझे गी कभी
यह इंतजार होई हैं मेरी जिंदगी अब
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