किस देश में रहती है मेरी बेचैनी
कौन शाहर मेंदिल धर्क्ता है मेरा
कहाँ से कोई पुकार रहा है मुझे
संदेसा कोई ला रही हैं हवाएं
बदली बरस बरस बिखेरती तेरे आंसू
मेरी हेठेली में खजाने बन गे हैं मोतियूं के
जानती हूँ तुम ने आज भेजा है धुप को मेरे आँगन में
कल देखि थी वोह चांदनी
जो जहाँ रही होगी तुम्हरी किद्की से
उस में नहा कर लौट देना मेरी और
उसे ही औध कर सो जननो गा में
मीठे सपनो के मिलन भर से ही
गम यूंही जाता रहे गा जुदाई का तेरी
कौन शाहर मेंदिल धर्क्ता है मेरा
कहाँ से कोई पुकार रहा है मुझे
संदेसा कोई ला रही हैं हवाएं
बदली बरस बरस बिखेरती तेरे आंसू
मेरी हेठेली में खजाने बन गे हैं मोतियूं के
जानती हूँ तुम ने आज भेजा है धुप को मेरे आँगन में
कल देखि थी वोह चांदनी
जो जहाँ रही होगी तुम्हरी किद्की से
उस में नहा कर लौट देना मेरी और
उसे ही औध कर सो जननो गा में
मीठे सपनो के मिलन भर से ही
गम यूंही जाता रहे गा जुदाई का तेरी
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