पत्थरों के इस शहर में भी मोहब्बत के दरख्त बाकी हैं...
अमृत बरसता है इस नखलिस्तानी टापू में निरंतर झर झर ....
जीवन की सारी रसभरी मुस्कान यहाँ बाकी है...
प्यार मरता नहीं तू 'अमृता' बन बरसा कर, सर्वदा निर्झर...
अमृत बरसता है इस नखलिस्तानी टापू में निरंतर झर झर ....
जीवन की सारी रसभरी मुस्कान यहाँ बाकी है...
प्यार मरता नहीं तू 'अमृता' बन बरसा कर, सर्वदा निर्झर...
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