सोमवार, 25 मई 2009

में नहीं न हूँ वोह जो आप सम्झेई हैं मुझेई .
में गम नाम बेनाम शयद hoon mein bad mnaam सुभ की धुंद जो चाट जेइगी
शाम का धुंआ जो होरेहेई गा धुंआ धान
चाय हूँ या की हूँ माया
चलवा हूँ या की हूँ सपना कोइदारावाना
संध्या हूँ की सन्नाट शमशान हूँ या की वीराना कोई
कोई भूल नहीं शूल चुबा सीने में hoon mein
इक तीस इक चीख एक हूक उठती हेई जो सीने में रेह्रेह कर
दर्द हूँ दिल का या हूँ रोगे कोई
एक सिसकी इस सुबकी इक आह हूँ दुब्बी दुब्बी
एक कतरा आन्सो जो आँख से टपका और भिखर गया
नहीं में वोह नहीं जो समझे ठी तुम मुझेई
अमृता...............................................hoon bus yoohi
kyoon ki tum kehtei ho





1 टिप्पणी:

Inder ने कहा…

Tu hai Amrita tu amrit barsati hai
Tu ik os ki boond sine me Thandak barsaati hai
Tu ik hook rah rah kar mere seene me uth jaati hai
Tu hai aaina jo sach ki shakal dikhlaali hai
Tu amrit ki paribhasha hai
Tujhe Amrita na kahein to kyaa kahein